Call Now : 8120018052, 9302101186 | MAP
     
विशेष सूचना- Arya Samaj तथा Arya Samaj Marriage और इससे मिलते-जुलते नामों से Internet पर अनेक फर्जी वेबसाईट एवं गुमराह करने वाले आकर्षक विज्ञापन प्रसारित हो रहे हैं। अत: जनहित में सूचना दी जाती है कि इनसे आर्यसमाज विधि से विवाह संस्कार व्यवस्था अथवा अन्य किसी भी प्रकार का व्यवहार करते समय यह पूरी तरह सुनिश्चित कर लें कि इनके द्वारा किया जा रहा कार्य पूरी तरह वैधानिक है अथवा नहीं। Kindly ensure that you are solemnising your marriage with a registered organisation and do not get mislead by large Buildings or Hall. For More information contact us at - 09302101186
arya samaj marriage indore india legal
all india arya samaj marriage place

Arya Samaj Marriage Rituals

  • महर्षि दयानन्द और सर्व-धर्म सदभाव - २

    महर्षि दयानन्द और सर्व-धर्म सदभाव - २

    महर्षि दयानन्द को अपने सिद्धांत प्यारे थे परन्तु इसका यह तात्पर्य नहीं है कि वे अन्यों के सिद्धांत की अवहेलना करते थे। वे बड़े सहनशील थे। वे पौराणिक या हिन्दू धर्म के मूर्ति-पूजा आदि सिद्धांतों की शास्त्रीय दृष्टि से समीक्षा करते हुए भी हृदय को विशालता के कारण हिन्दू धर्म को उदार ही मानते थे। अपने जीवन के एक प्रसंग में वे १८७७ के लगभग अमृतसर पहुंचे। वहां के कमिश्नर की प्रार्थना पर महर्षि उनके बंगले पर पधारे। वार्तालाप करते हुए कहा कि- ''हिन्दू धर्म को'' सूत के समान कच्चा'' क्यों कहते हैं? महर्षि ने उतर दिया- ''यह कच्चा नहीं किन्तु लोहे से भी कड़ा है। हिन्दू धर्म समुद्र के समन है। इसमें अनेक अच्छे और बुरे मतों के तरंग विद्यमान है, सदाचारी हैं, परोपकार परायण रहते हैं और एक निराकार परमेश्वर को अपने मनो मन्दिर में पूजते हैं। इनके विपरीत लोग भी हिन्दू धर्म में पाए जाते है जो महाक्रूर, अनाचारी, वामी हैं; कोरे नास्तिक, अवतारों को मनाने वाले हैं। यहाँ योगी, ध्यानी, तपस्वी, और आजीवन ब्रम्हचारी रहने वाले भी विद्यमान हैं और ऐसे भी अनेक हैं - जिनका उद्देश्य आमोद-प्रमोद और संसार का सुख है। हिन्दू धर्म में छुआ-छूत मानने वाले सैकड़ों हैं वहाँ सबक साथ भोजन करे वाले हजारों हैं। परमार्थी-दर्शी और तत्वज्ञानी लोग इस धर्म में उच्च पद के पाए जाते हैं और ऐसे भी मिल जाते हैं जो ज्ञान के पीछे डण्डा लिए डोलते हैं। उत्तम माध्यम और निकृष्ट विचारों-अचारों के सभी मत और उनके मानने वाले मनुष्य इस मार्ग में मिलते हैं। वे सभी हिन्दू हैं और उन्हें कोई हिन्दूपन से निकाल नहीं सकता इसीलिए हिन्दू धर्म निर्बल नहीं किन्तु परम सबल हैं।''

    Motivational speech on Vedas by Dr. Sanjay Dev
    Ved Katha Pravachan -22 | Explanation of Vedas & Dharma | परमात्मा के दर्शन एवं उसके कार्य

    प्रायः सभी धर्म अपने मत को सर्वश्रेष्ठ और अन्यों को दिन समझते हैं। इस प्रवृत्ति के कारण वे अपने धर्म के विरुद्ध किसी बात को सुनना नहीं चाहते। इसी प्रवृत्ति के कारण भारत में प्रचलति सभी धर्म महर्षि के खण्डन से उनके विरोधी बन गए परन्तु महर्षि ने तो खण्डन का मार्ग सत्यासत्य के निर्णय के लिए अपनाया था। वे किसी के दिल को दुखाना नहीं चाहते थे। वे सैंद्धांतिक दृष्टि से सभी धर्मो का खण्डन करते थे, किन्तु सभी धर्मों के अनुयायिओं से प्रेम करते थे, विरोधियों का भी हित किया करते थे। अपने हत्यारों को भी क्षमा कर देते थे और उनके कल्याण के लिए यत्न शील रहते थे। महर्षि के जीवन से सम्बन्धित एक और घटना लगभग १८६७ में वे अनूपशहर में प्रचारार्थ पहुंचे। वहां एक ब्राह्मण ने रुष्ट होकर उन्हें पान में विष दे दिया। महर्षि ने न्यौली कर्म करे विष को अपने शरीर से निकाल दिया। सैय्यद मुहम्मद तहसीलदार, जो महर्षि के भक्त थे, ने जब यह समाचार सुना तो ब्राह्मण को कैद कर लिया। तहसीलदार का विचार था कि मेरे इस कर्म से महर्षि प्रसन्न होंगे,किन्तु जब उसने महर्षि ने यह बात बताई तो महर्षि अप्रसन्न हो गये और उन्होंने कह कि - ''मैं दुनिया को कैद कराने नहीं बल्कि उसे कैद से छुड़ाने आया हूँ। वह यदि अपनी दुष्टता को नहीं छोड़ता तो हम अपनी श्रेष्ठता क्यों छोड़ें?

    महर्षि का ईसाइयों के प्रति कैसा सदभाव था? ईसाइयों के गिरजाघरों के प्रति उनकी कैसी भावना थी? यह जानने के लिए एक घटना का उल्लेख करते है जो महर्षि के जीवन से सम्बंधित हैं - १८७६ के लगभग महर्षि बरेली पहुंचे। वहां उनके व्याख्यान होते थे। महर्षि का पादरी स्कॉट के साथ स्नेह सम्बन्ध था। वे नहीं आये तो महर्षि ने व्याख्यान के बाद पूछा कि भक्त स्कॉट क्यों नहीं आये? पता चला कि वे रविवार को गिरजाघर जाते हैं। महर्षि ने कहा कि चलो आज भक्त स्कॉट का गिरजाघर देख आएँ। महर्षि तीन चार सौ मनुष्यों के साथ गिरिजा में पहुंचे। महर्षि को आते देख पादरी स्कॉट वेदी पर से नीचे उतरकर आए और महर्षि को उपदेश देने के लिए प्रार्थना की। महर्षि ने उनके आग्रह पर वहाँ उपदेश दिया
    aryasamaj indore

    महर्षि का मुसलमानों के प्रति भी बड़ा स्नेहपूर्ण व्यवहार था और अभिजात वर्ग के मुसलमान भी उनका आदर करते थे। १८७३ के आसपास की बात है- महर्षि अलीगढ पहुंचे। वहां मुस्लिम यूनिवर्सिटी अलीगढ के संस्थापक और प्रसिद्ध मुस्लिम नेता सर सैय्यद अहमद खां महर्षि की सेवा में प्रायः नित्य आया करते थे। एक दिन सैय्यद साहिब कई प्रतिष्ठित मुसलमानों और अंग्रेजों सहित महर्षि की सेवा में उपस्थित हुए और अग्निहोत्र की उपयोगिता पर वार्तालाप होता रहा। १८७६ में दिल्ली में राजदरबार के अवसर पर महर्षि ने सर्वधर्म एकता का आयोजन किया। इस गोष्ठी में परस्पर सौहार्दपूर्ण वार्तालाप हुआ।

    लगभग १८७७ में महर्षि लाहौर पधारे। उनको लाहौर बुलाने में अधिक हाथ ब्रम्ह समाजियों का था। उन्होंने महर्षि के दो व्याख्यान अपने मन्दिर में कराए। प्रथम व्याख्यान 'वेद ईश्वरीय' विषय पर था और दूसरा 'पुनर्जन्म ज्ञान' पर। ये दोनों व्याख्यान ब्रम्ह समाज के मंतव्यों के विरुद्ध थे। इसलिए ब्रम्ह समाजी उनका विरोध करे लगे। महर्षि पुराणों का भी खण्डन करते थे, इसलिए जिस उद्यान में महर्षि निवास करते थे उसके मालिक ने भी उनका विरोध किया। फलतः महर्षि के भक्त जन उन्हें डॉक्टर रहीम खां की कोठी ले आए। यह कोठी भक्त छज्जू के चौबारे के पास थी। इस कोठी में महर्षि व्याख्यान देते और दूसरे दिन शंका समाधान करते थे। इसी कोठी में निवास करते हुए महर्षि ने आर्य समाज के संशोधित दस नियम बनाये तथा आर्य समाज लाहौर की स्थापना की स्थापना हुई जिसका पहला सत्संग भी यहीं हुआ। धन्य हैं महर्षि! और धन्य डॉ. रहीम खां जिन्होंने सर्वधर्म सदभाव का एक अनूठा उदाहरण हमारे सामने रखा।

    महर्षि जब जोधपुर में प्रचारार्थ पधारे थे तो वे राजस्थान के भूतपूर्व मुख्यमंत्री बरकत उल्ला खां के दादा की कोठी में निवास करते थे। श्री बरकत उल्ला खां ने सर्वधर्म सदभाव के नाते उस कोठी को राष्ट्रीय स्मारक के रु में दान कर दिया। ऐसे ही विरले अभिजात्य सज्जनों के सौजन्य से सर्वधर्म एकता की आदर्श भावना परम्परा से चली आ रही है।

    महर्षि ने सर्वधर्म सदभाव का अभियान चलाया था और आर्य समाज इस अभियान को अब तक चलाता आ रहा है। इतना ही नहीं मुस्लिम वर्ग भी आर्य समाज के इस सौहार्दपूर्ण अभियान का आदर करते हैं। आर्य समाज स्थापना शताब्दी दिल्ली १९७५ तथा महर्षि दयानन्द निर्वाण शताब्दी अजमेर १९८३ के अवसर पर मुसलमानों ने शोभा यात्राओं के समय अपनी भावभीनी श्रद्धांज्जलि अर्पित की थी। प्रभु इस परम्परा को दोनों और से बने रखे। - विश्वनाथ शास्त्री

    Contact for more info. -

    Arya Samaj Mandir Annapurna Indore
    Akhil Bharat Arya Samaj Trust
    Bank Colony, Near Bank of India
    Opp. Dussehra Maidan
    Annapurna Road, Indore (MP)
    Tel.: 0731-2489383, 9302101186
    www.aryasamajmarriagehelpline.com 

    ----------------------------------------------------
    आर्य समाज मन्दिर अन्नपूर्णा इन्दौर
    अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट
    बैंक कॉलोनी, दशहरा मैदान के सामने
    बैंक ऑफ़ इण्डिया के पास, नरेन्द्र तिवारी मार्ग
    अन्नपूर्णा, इन्दौर (मध्य प्रदेश) 452009
    दूरभाष : 0731-2489383, 9302101186
    www.aryasamajindore.com 

    Maharishi Dayanand loved his principles, but this does not mean that he disregarded the principle of others. He was very tolerant. Even while reviewing the principles of mythology or idol worship of Hinduism from the classical point of view, they considered the Hindu religion as liberal due to the vastness of the heart. In one incident of his life, he reached Amritsar around 14. At the request of the commissioner there, Maharishi came to his bungalow.

    Arya Samaj Mandir Annapurna Indore | Arya Samaj Mandir Bank Colony Indore | Arya Samaj Pandit Indore | Arya Samaj Indore for Ghatshila - Ahraura - Musafirkhana - Army Headquarters - Uchchanyayalay Indore.

    Arya Samaj Mandir Indore Madhya Pradesh, Arya Samaj Mandir Marriage Annapurna Indore, Query for marriage in Arya Samaj Mandir Indore, Plan for marriage in Arya Samaj Mandir Indore, Arya Samaj Sanskar Kendra Indore, pre-marriage consultancy, Legal way of Arya Samaj Marriage in Indore, Legal Marriage services in Arya Samaj Mandir Indore, traditional Vedic rituals in Arya Samaj Mandir Indore, All India Arya Samaj Mandir Wedding, Marriage in Arya Samaj Mandir, Arya Samaj Pandits in Indore, Traditional Activities in Arya Samaj Mandir Indore, Arya Samaj Traditions, Arya Samaj Marriage act 1937. Arya Samaj Annapurna Indore, All India Arya Samaj Indore, All India Arya Samaj Mandir Annapurna Indore, All India Arya Samaj Mandir Marriage Indore, All India Arya Samaj Mandir Wedding Service Indore, Official Website of Akhil Bharat Arya Samaj Trust Indore Madhya Pradesh, आर्य समाज इंदौर, Maharshi Dayanand or Sarv-Dharm Sadbhav - 2, महर्षि दयानन्द और सर्व-धर्म सदभाव - 2, Arya Samaj and Vedas, Vedas, Maharshi Dayanand Saraswati, Arya Samaj in India, Arya Samaj and Hindi, Vaastu Correction Without Demolition, Arya Samaj Mandir Marriage Indore Madhya Pradesh, Arya Samaj helpline Indore Madhya Pradesh Bharat, Arya Samaj Mandir in Madhya Pradesh, Arya Samaj Online, Arya Samaj Marriage Guidelines, Procedure Of Arya Samaj Marriage, Arya Samaj Marriage helpline Annapurna Indore, Hindi Vishwa, Intercast Marriage in Arya Samaj Mandir Indore. Indore Aarya Samaj Mandir, Indore Arya Samaj Mandir address, Hindu Matrimony in Indore, Arya Samaj Intercast Marriage, Intercast Matrimony in Indore, Arya Samaj Wedding in Indore, Hindu Marriage in Indore, Arya Samaj Temple in Indore, Marriage in Indore, Arya Samaj Marriage Rules in Indore, Hindu Matrimony in Indore, Arya Samaj Marriage Ruels in Hindi, Ved Puran Gyan, Arya Samaj Details in Hindi, Ved Gyan DVD, Vedic Magazine in Hindi, Aryasamaj Indore MP, address and no. of Aarya Samaj Mandir in Indore, Aarya Samaj Satsang, Arya Samaj, Arya Samaj Mandir Annapurna Indore, Documents required for Arya Samaj marriage in Indore, Legal Arya Samaj Mandir Marriage procedure in Indore,  Aryasamaj Helpline Indore Madhya Pradesh India, Official website of Arya Samaj Indore, Arya Samaj Bank Colony Indore Madhya Pradesh India, महर्षि दयानन्द सरस्वती, आर्य समाज मंदिर इंदौर मध्य प्रदेश भारत, वेद, वैदिक संस्कृति, धर्म, दर्शन, आर्य समाज मन्दिर इन्दौर, आर्य समाज विवाह इन्दौर

  • महर्षि दयानन्द के मन्तव्य - बच्चों का विश्वास कैसे हो

    महर्षि दयानन्द के मन्तव्य - बच्चों का विश्वास कैसे हो

    लार्ड मैकॉले के सिद्धान्तों के आधा पर जो शिक्षा स्कूलों में दी जा रही है वह शिक्षा नहीं है। यह शिक्षा बच्चों के विकास में सुधार न कर उनको कुपथ पर ले जा रही है। वे केवल भौतिक शिक्षा की ओर बढ़ रहे हैं। अपने माता-पिता, बूढ़ों का न वे आदर कर पाते हैं न ही उनकी सेवा सुश्रुषा में रूचि रखते है। उनके पास बैठना, बात करना तक भी उन्हें गवारा नहीं लगता। छोटी आयु में ही प्रेम, सेक्स, यौन शिक्षा की ओर आकृष्ट हो रहा है। इसेक अतिरिक्त कुछ नहीं जबकि बच्चे के जीवन निर्माण के लिए चारित्रिक तथा आध्यात्मिक शिक्षा अत्यन्त आवश्यक है।

    शिक्षा ग्रहण करने के लिए शिशु को तीन सीढ़ियों पर चढ़ना पड़ता है। तीन गुरुओं की आवश्यकता पड़ती है। माता, पिता, आचार्य। शतपथ ब्राह्मण में लिखा है 'मातृमान, पितृमान, आचार्यवान पुरुषो वेद। स्वामी जी लिखते हैं वह बच्चा भाग्यवान है जिसके माता पिता सदाचारी, धार्मिक विचार वाले तथा सद्व्यवहारी है। बच्चे के निर्माण के लिए गर्भाधान संस्कार कराया जाता है तकि गर्भ से ही माता अपने बच्चे को अच्छी शिक्षा दे सके। शुद्ध और पवित्र विचार रखते हुए नशीली और वासना उत्पन्न करने वाली वस्तुओं का सेवन न करे, अपितु स्वास्थ्य वर्द्धक, सुगति और सभ्यता देने वाली वस्तुओं का सेवन करें। क्योंकि माता के विचारों का प्रभाव बच्चे पर गर्भ से ही पड़ता है। वह अपने सदाचार और सद्व्यवहार का प्रभाव तब तक डालती रहे जब तक वह बच्चा पूर्ण रूपेण अपनी शिक्षा को प्राप्त न कर जाए।

    Motivational speech on Vedas by Dr. Sanjay Dev
    वेद कथा - 27 | Vedic Secrets of Happy Life | Explanation of Vedas | Vedas in Hindi | सुखी जीवन रहस्य

    भूत-प्रेत की कथाओं, पाप पाखण्ड से दूर रखें क्योंकि स्वामी दयानन्द जी इसके कट्टर विरोधी थे। यह बालक के विकास में घातक है। चरक की विधि तथा मनुस्मृति के अनुसार माता-पिता का व्यवहार केसा होना चाहिए। माता स्वयं कैसा जीवन व्यतीत आकर और शिशु का पालन पोषण कैसे करे। इसका समाधान है कि माता प्रथम गुरु होने के नाते वह अपने बच्चे को संस्कारित, सभ्य तथा सुशिल बनाये ताकि वह अपने शरीर के किसी भी अंग का दुरूपयोग न करे। वाणी में नम्रता, उच्चारण शुद्ध और भाषा शुद्ध और स्पष्ट हो। बड़ों के साथ उचित व्यवहार, सम्मान, सेवा और आज्ञा का पालन करें। महर्षि अत्यन्त दूरदर्शी थे। उन्होंने चाणक्य नीति की मान्यता को अक्षरशः सत्य बताते हुए कहा है- 
    माता शत्रु पिता वैरी येन बालो न पाठितः। न शोभते सभा मध्ये हंस मध्ये बको यथा।।
    वह माता बच्चों के पूर्ण रूप से शत्रु है जो अपने बच्चों को अच्छी विद्या नहीं दे पते वे बच्चे समाज द्वारा विद्वानों द्वारा ऐसे अपमानित होते है जैसे हंसों के बीच बगुला।

    दुरसा रूप गुरू पिता - पिता का कर्तव्य है बच्चो को शिक्षा देने का जो पांच वर्ष पश्चात प्रारम्भ होता है। वह बच्चों को नियंत्रण में रखें। बच्चों को चोरी करने से, झूट बोलने से दूर रखे। उनकी पढाई का पूरा ध्यान रखे। अपनी पढाई के साथ बच्चों का निरीक्षण भी करता रहे। उसे निर्देश देता रहे उनके साथ कुछ भी व्यतीत करे। उनके आचार व्यवहार को देखे। अपनी पवित्र कमाई से बच्चों का पालन पोषण करे। कर्तव्य है इसकी जानकारी उसे दे।

    तीसरा गुरू आचार्य - पिता द्वारा दी गई शिक्षा के पश्चात् बच्चे को शिक्षा ग्रहण करने के लिए गुरूकुल के आचार्यों के पास भेज देना चाहिए या फिर से विद्यालय में भेज दिया जाये जहां बच्चों का वास्तविक चरित्र निर्माण हो सके। आचार्य व अध्यापक सुशिक्षित, विद्वान सदाचारी होने चाहिए। विद्यालय में उनकी नियुक्ति भली प्रकार से निरिक्षण करने के पश्चात् होनी चाहिए। वह अपने विषय की पूरी जानकारी रखता हो। महर्षि दयानन्द ने शिक्षा के सुधारको को प्रमुख माना।
    arya samaj mandir

    शिक्षा के प्रति उनके मन्तव्य 

    १. सार्वजानिक शिक्षा :-सभी बच्चों को उच्च व निम्न जाति, गरीब व अमीर, पढ़ने का सामान अधिकार दिया जाए, समान पढ़ाया जाये किसी भी प्रकार का अन्तर नहीं रखा जाये।

    २. पुत्रियों की शिक्षा :- पर अधिक बल दिया। यदि कन्या सुशिक्षित होगी तो अपने पतिगृह में जाकर अपने बच्चों व परिवार को पूर्ण रूप से समृद्ध करेगी। अतः पुत्रियों को उच्च से शिक्षा दी जानी चाहिए ताकि वह परिवार, राष्ट्र और समाज का भला कर सके। अपने बच्चे का भविष्य बना सके।

    ३. राज्य की ओर से शिक्षा का प्रबन्ध :- राज्य सरकार का प्रमुख कर्तव्य है कि वह बच्चों के शिक्षा का उत्तरदायित्व स्वयं ले माता-पिता को इससे मुक्त रखा जाये माता-पिता को केवल बच्चों को पढ़ाते समय कठोरता का व्यवहार करें। किसी भी प्रकार की ढील नहीं दें उनका स्वाभाव मन से दयालु हो वे उनके शुभचिन्तक हो।

    ४. सह शिक्षा :-राज्य में सह शिक्षा पर कड़ी पाबन्दी लगाई जाये। लड़के व लड़की के विद्यालयों पृथक व आबादी से काफी दुरी पर हो। एक साथ पढ़ने से योन शिक्षा और प्रेम की ओर दोनों आकर्षित होते है जोकि उनके भविष्य के लिए उचित नहीं है।

    ५. शूद्र शिक्षा : - शूद्रों को पढ़ाने के लिए भी महर्षि ने पूरी शक्ति के साथ समर्थन किया और प्रयास किया प्रत्येक जाति के बालकों को पढ़ने का अधिकार दिलाया। महर्षि ने पतन्जलि के महाभाष्य को मान्यता देते हुए कहा है कि बच्चों को नशीली वस्तुओं व अत्यन्त वासना प्रधान वस्तुओं से दूर रखा जाये ताकि पवित्र मन, शुद्ध ह्रदय वाले बने। उनके मन में अभद्र भावनायें न आएं। बड़ों से अभद्र व्यवहार न करें। वे अच्छे आचरण को ही स्वीकार करे। आलस्य से दूर रहें।
    ऋषि की शिक्षा व उनके सिद्धान्त सब बच्चों की सर्वागीण उन्नति कर सकते है। अतः इन्हीं उदेश्यों का आचरण करना चाहिए।

    Contact for more info. -
    Arya Samaj Mandir Annapurna Indore
    Akhil Bharat Arya Samaj Trust
    Bank Colony, Near Bank of India
    Opp. Dussehra Maidan,
    Annapurna Road, Indore (MP)
    Tel.: 0731-2489383, 9302101186
    www.aryasamajindore.com
    --------------------------------------------------
    आर्य समाज मन्दिर अन्नपूर्णा इन्दौर
    अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट
    बैंक कॉलोनी, दशहरा मैदान के सामने
    क ऑफ़ इण्डिया के पास, नरेन्द्र तिवारी मार्ग
    अन्नपूर्णा, इन्दौर (मध्य प्रदेश) 452009
    दूरभाष : 0731-2489383, 9302101186
    www.aryasamajmarriagehelpline.com 

    The Education that is being given in schools on half of Lord Macaulay's principles is not education. This education is not improving the development of children and taking them to the path. They are only moving towards physical education. They are neither able to respect their parents, old people nor are they interested in their service Sushrusha. They do not even think to sit near them and talk. Being attracted towards love, sex, sex education at a young age.

    All India Arya Samaj Mandir | Arya Samaj Mandir Bank Colony Indore | Arya Samaj Pandit Indore | Arya Samaj Indore for Giridih - Allahabad - Nagpur - Barfani - Sukliya Indore M.P.

    Arya Samaj Mandir Indore Madhya Pradesh, Arya Samaj Mandir Marriage Annapurna Indore, Query for marriage in Arya Samaj Mandir Indore, Plan for marriage in Arya Samaj Mandir Indore, Arya Samaj Sanskar Kendra Indore, pre-marriage consultancy, Legal way of Arya Samaj Marriage in Indore, Legal Marriage services in Arya Samaj Mandir Indore, traditional Vedic rituals in Arya Samaj Mandir Indore, All India Arya Samaj Mandir Wedding, Marriage in Arya Samaj Mandir, Arya Samaj Pandits in Indore, Traditional Activities in Arya Samaj Mandir Indore, Arya Samaj Traditions, Arya Samaj Marriage act 1937. Arya Samaj Annapurna Indore, All India Arya Samaj Indore, All India Arya Samaj Mandir Annapurna Indore, All India Arya Samaj Mandir Marriage Indore, All India Arya Samaj Mandir Wedding Service Indore, Official Website of Akhil Bharat Arya Samaj Trust Indore Madhya Pradesh, आर्य समाज इंदौर, Myths of Maharishi Dayanand how should the Children Believe, Maharshi Dayanand ke Mantavya - Bachhon ka Vishwas Kaise ho, महर्षि दयानन्द के मन्तव्य - बच्चों का विश्वास कैसे हो, Arya Samaj and Vedas, Vedas, Maharshi Dayanand Saraswati, Arya Samaj in India, Arya Samaj and Hindi, Vaastu Correction Without Demolition, Arya Samaj Mandir Marriage Indore Madhya Pradesh, Arya Samaj helpline Indore Madhya Pradesh Bharat, Arya Samaj Mandir in Madhya Pradesh, Arya Samaj Online, Arya Samaj Marriage Guidelines, Procedure Of Arya Samaj Marriage, Arya Samaj Marriage helpline Annapurna Indore, Hindi Vishwa, Intercast Marriage in Arya Samaj Mandir Indore. Indore Aarya Samaj Mandir, Indore Arya Samaj Mandir address, Hindu Matrimony in Indore, Arya Samaj Intercast Marriage, Intercast Matrimony in Indore, Arya Samaj Wedding in Indore, Hindu Marriage in Indore, Arya Samaj Temple in Indore, Marriage in Indore, Arya Samaj Marriage Rules in Indore, Hindu Matrimony in Indore, Arya Samaj Marriage Ruels in Hindi, Ved Puran Gyan, Arya Samaj Details in Hindi, Ved Gyan DVD, Vedic Magazine in Hindi, Aryasamaj Indore MP, address and no. of Aarya Samaj Mandir in Indore, Aarya Samaj Satsang, Arya Samaj, Arya Samaj Mandir Annapurna Indore, Documents required for Arya Samaj marriage in Indore, Legal Arya Samaj Mandir Marriage procedure in Indore,  Aryasamaj Helpline Indore Madhya Pradesh India, Official website of Arya Samaj Indore, Arya Samaj Bank Colony Indore Madhya Pradesh India, महर्षि दयानन्द सरस्वती, आर्य समाज मंदिर इंदौर मध्य प्रदेश भारत, वेद, वैदिक संस्कृति, धर्म, दर्शन, आर्य समाज मन्दिर इन्दौर, आर्य समाज विवाह इन्दौर

  • सत्यार्थ प्रकाश ने जीवन की दिशा ही बदल दी

    सत्यार्थ प्रकाश ने जीवन की दिशा ही बदल दी

    लखनऊ में एक बार लोकमान्य तिलक के अपहरण की योजना गई। कांग्रेस अधिवेशन में भाग लेने हेतु तिलक लखनऊ स्टेशन पर उतरे। कांग्रेस के गरम व नरम दोनों दलों के लोग उनकी किसी भी तरह अपहरण करके अपने-अपने खेमे में लेजाकर जलूस निकालने की तैयारी कर चुके थे। लेकिन संख्या में अधिक होने के कारण नरम दल के लोगों ने रेल गाड़ी से उतरते ही तिलक जी को अपने कब्जे में ले लिया और। वहां एकत्र गरम दल के लोग तिलक को अपने कब्जे में लेने का कोई उपाय सोच ही रहे थे, कि अचानक एक युवक कार के आगे वाले पहिए के आगे लेट गया और जोर-जोर से चिल्लाने लगा ''गाड़ी मेरे ऊपर से निकल के ले जाओं ! गाड़ी मेरे ऊपर से निकाल के ले जाओं!'' वह रोता-रोता चीख कर उपरोक्त वाक्य को बार-बार दोहरा रहा था। इतनी ही देर में गरम दल के लोग भी कार के आगे और पीछे लेट गए। गाड़ी न आगे चल सकती थी न पीछे। सबसे पहले आगे लेता हुआ युवक फुर्ती से खड़ा हुआ, उसने अन्य लोगों को संकेत किया और कुछ ही क्षणों में गरम दल के लोगों ने तिलक जी को गाड़ी से बाहर निकाला, उन्हें अपने हाथों पर उठाकर झुंड के बाहर लाये और वहां पहले से ही तैयारबग्घी में बैठा दिया । उस युवक ने बग्घी के घोड़ों को खोलकर अगल कर दिया। कुछ युवक घोड़ों की जगह स्वयं बग्घी को खींचने लगे। तिलक का यह जलूस अपने आप में अभूतपूर्व और ऐतिहासिक था। जो युवक गाड़ी के आगे लेटा था और रो-रोकर चिल्ला रहा था, वह था काकोरी काण्ड का नायक 'रामप्रसाद बिस्मिल।'

    Motivational speech on Vedas by Dr. Sanjay Dev
    Ved Katha Pravachan - 28 | Explanation of Vedas | दिव्य मानव निर्माण की वैदिक योजना

    'सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है' प्रसिद्ध गीत के अमर गायक पं० राम प्रसाद बिस्मिल का जन्म दिनांक ११ जून १८६७ ई० को शाहजहांपुर के एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ। आर्य समाजी विद्वान् मुंशी इन्द्रजीत ने इनकी बचपन की बुरी आदंतो को छुड़ाकर इनमें नये संस्कारों की ज्योति जागृत की। इनको महर्षि दयानन्द का जीवन-चरित्र व 'सत्यार्थ प्रकाश' पढ़ने को दिया। 'सत्यार्थ प्रकाश' ने बिस्मिल के जीवन की दिशा ही बदल दी। कुछ समय बाद बिस्मिल आर्य समाज के संन्यासी स्वामी सोमदेव के सम्पर्क में आए। स्वामी सोमदेव ने इस बालक में देश भक्ति के भावों की गंगा प्रवाहित कर दी। तब स्वामी सोमदेव ने फांसी की सजा की घोषणा की थी तब रामप्रसाद बिस्मिल के अन्दर क्रान्ति की भावना जाग उठी उन्होंने अपने गुरु स्वामी सोमदेव के सम्मुख प्रतिज्ञा की ''देश को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त कराने के लिए वह अपना सर्वस्व भारत मां के चरणों में न्यौछावर कर अपने प्राणों का उत्सर्ग कर देंगे।'' गुरु का आशीर्वाद पाकर भारत माँ का शूर-सपूत अपने निश्चय को पूरा करने हेतु अवसर की तलाश में रहें लगा। सारे दिन आर्य समाज में भविष्य की योजना बनाते रहते।

    राम प्रसाद बिस्मिल ने प्रसिद्ध क्रांतिकारी शचीन्द्र नाथ बख्शी द्वारा स्थापित 'हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसियेशन की सदस्यता ग्रहण कर ली। ब्रिटिश सत्ता से टक्कर लेने के लिए शस्त्रों की आवश्यकता थी। एक बार की घटना है कि उन्होंने ग्वालियर के एक रिटायर्ड एस.पी. से कुछ राइफल एवं रिवाल्वर खरीदे। अब इन हथियारों को शाहजहाँपुर ले जाने की समस्या थी। बिस्मिल के पीछे पहले ही पुलिस लगी ही थी। अतः पकड़े जाने का अंदेसा था। बिस्मिल ने उन शस्त्रों को अशफाक उल्ला खाँ के पास ग्वालियर ही छोड़ा और वह शाहजहाँपुर आ गए। वहां से अपनी छोटी बहिन शास्त्री देवी को लेकर ग्वालियर आए। छोटी बहिन की दोनों टांगों में राइफल और पिस्तौलें बांधकर ऊपर से खपच्चे बांधकर फ्रैक्चर जैसी पट्टियां बांध दी। बहिन को दो-तीन लोग हाथों में उठाकर ट्रेन में लिटा-लिटा कर इलाज के लिए लखनऊ ले जाने का बहाना करते हुए शाहजहाँपुर पहुँच गए। देश के लिए ऐसे समर्पित थे बिस्मिल।

    जर्मनी से केशव चक्रवर्ती ने माउजर पिस्तौलों की पेटी का एक पार्सल भारतीय क्रांतिवीरों के लिए भारत भेजा था। उसे क्रांतिवीरों ने धन देकर कोलकत्ता बन्दरगाह से प्राप्त करना था। इसके लिए धन की तुरन्त आवश्यकता आ पड़ी। अतः बिस्मिल और उनके साथियों ने निश्चय किया कि सहारनपुर-लखनऊ पैसेन्जर गाड़ी से सरकारी खजाना लूटा जाए। इसी हेतु दिनांक ९ अगस्त १९२५ को शाहजहाँपुर स्टेशन से सात क्रांतिकारी गाड़ी पर चढ़े। काकोरी स्टेशन से तीन क्रांतिकारी चढ़े। इस प्रकार इस कार्य-योजना में बिस्मिल के अतिरिक्त राजेंद्र नाथ लाहिड़ी, रोशन सिंह, अश्फाक उल्ला खाँ, चन्द्रशेखर आजाद, बनवारी लाल (बाद में मुखविर बना) शचीन्द्र नाथ बक्शी, मुकन्दी लाल, केशव एवं मन्मथ नाथ गुप्त दस क्रांतिवीर शामिल थे। थोड़ी ही दूर ट्रेन चली होगी कि एक ने जेवरों का बक्सा स्टेशन पर ही छूट जाने का अभिनय किया और चेन खींचकर गाड़ी रुकवा ली। गाड़ी के रुकते ही एक दूसरे क्रांतिवीर ने गाड़ी से नीच उतरकर हवाई फायर किए और जोर से चिल्लाकर घोषणा की ''यात्रियों व रेलकर्मियों से निवेधन है कि वह कोई भी अपनी जगह से न हिले। यदि हिला तो गोलियों से भून दिया जाएगा। हम किसी को कुछ न कहेंगे। केवल सरकारी खज़ाना लूटकर चले जाएंगे।''
    arya samaj mandir marriage indore

    रेल में यधपि १४ लोगों पर बंदूकें थी दो पर पिस्तौलें। केवल एक गोरखे ने अपनी पिस्तौल का प्रयोग किया। चन्द्रशेखर आज़ाद ने तुरंत अपनी पिस्तौल से उसका सर उड़ा दिया। जब तक खजाने वाला संदूक टूट नहीं गया, क्रांतिकारी लगातार गोलियाँ दागते रहे और चेतावनी देते रहे। गाड़ी में बैठे लोगों को लगा कि सैकड़ों डाकुओं के दल ने गाड़ी को घेरा हुआ है। अतः अन्य किसी ने भी अपने हथियार का प्रयोग नहीं किया। खजाने को लूटकर सभी लोग बच निकले। इस लूट में क्रांतिवीरों को आठ हजार छः सौ रुपया हाथ लगा। माउजर पिस्तौलों का पार्सल बन्दरगाह से छुड़ा लिया गया। सरकार ने सोचा भी न था कि क्रांतिकारियों के हौसले इतने बुलंद हो सकते हैं। इस घटना से सरकर को हिला दिया। ४४ लोगों को गिरफ्तार किया गया। चन्द्रशेखर आजाद भूमिगत रहे। शेष सभी पकडे गए। दो वर्ष तक मुकदमा चला। इस प्रसिद्ध काकोरी काण्ड में राजेंद्र नाथ लाहिड़ी ने १७ दिसम्बर व राम प्रसाद बिस्मिल, अश्फाक उल्ला खाँ व ठाकुर रोशन सिंह ने १९ दिसम्बर को फांसी का फंदा चूमकर शहादत प्राप्त की। १५ लगों को १० से ५ वर्ष तक का कारावास हुआ। इन क्रान्तिवीरों की अंतिम इच्छा भी थी -

    कुछ आरजू नहीं है, आरजू है तो यह है। रख दे कोई जरा सी, खाके वतन कफन में। - रविचन्द्र गुप्ता


    Contact for more info. -
    Arya Samaj Mandir Annapurna
    Akhil Bharat Arya Samaj Trust
    Bank Colony, Near Bank of India
    Opp. Dussehra Maidan,
    Annapurna Road, Indore (MP)
    Tel.: 0731-2489383, 9302101186
    www.akhilbharataryasamaj.org 
    ----------------------------------------------------------
    आर्य समाज मन्दिर अन्नपूर्णा इन्दौर
    अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट
    बैंक कॉलोनी, दशहरा मैदान के सामने
    क ऑफ़ इण्डिया के पास, नरेन्द्र तिवारी मार्ग
    अन्नपूर्णा, इन्दौर (मध्य प्रदेश) 452009
    दूरभाष : 0731-2489383, 9302101186
    www.aryasamajindore.com

     

    Pandit Ram Prasad Bismil, the immortal singer of the famous song 'Sarfaroshi Ki Tamanna Ab Hamare Dil Hai Hai', was born on 11 June 14 AD in a prestigious family of Shahjahanpur. Arya Samaji scholar Munshi Indrajit rescued the evil habits of his childhood and awakened the light of new values ​​in them. He was given the reading of Maharishi Dayanand's life-character and 'Satyarth Prakash'. 'Satyarth Prakash' changed the direction of Bismil's life.

    All India Arya Samaj Mandir | Arya Samaj Mandir Bank Colony Indore | Arya Samaj Pandit Indore | Arya Samaj Indore for Goa - Allahganj - Nagram - Bapat Square - Sudama Nagar Indore Madhya Pradesh.

    Arya Samaj Mandir Indore Madhya Pradesh, Arya Samaj Mandir Marriage Annapurna Indore, Query for marriage in Arya Samaj Mandir Indore, Plan for marriage in Arya Samaj Mandir Indore, Arya Samaj Sanskar Kendra Indore, pre-marriage consultancy, Legal way of Arya Samaj Marriage in Indore, Legal Marriage services in Arya Samaj Mandir Indore, traditional Vedic rituals in Arya Samaj Mandir Indore, All India Arya Samaj Mandir Wedding, Marriage in Arya Samaj Mandir, Arya Samaj Pandits in Indore, Traditional Activities in Arya Samaj Mandir Indore, Arya Samaj Traditions, Arya Samaj Marriage act 1937. Arya Samaj Annapurna Indore, All India Arya Samaj Indore, All India Arya Samaj Mandir Annapurna Indore, All India Arya Samaj Mandir Marriage Indore, All India Arya Samaj Mandir Wedding Service Indore, Official Website of Akhil Bharat Arya Samaj Trust Indore Madhya Pradesh, आर्य समाज इंदौर, Satyarth Prakash Changed the Direction of Life itself, Satyarth Prakash Ne jivan ki Disha hi Badal di, सत्यार्थ प्रकाश ने जीवन की दिशा ही बदल दी, Arya Samaj and Vedas, Vedas, Maharshi Dayanand Saraswati, Arya Samaj in India, Arya Samaj and Hindi, Vaastu Correction Without Demolition, Arya Samaj Mandir Marriage Indore Madhya Pradesh, Arya Samaj helpline Indore Madhya Pradesh Bharat, Arya Samaj Mandir in Madhya Pradesh, Arya Samaj Online, Arya Samaj Marriage Guidelines, Procedure Of Arya Samaj Marriage, Arya Samaj Marriage helpline Annapurna Indore, Hindi Vishwa, Intercast Marriage in Arya Samaj Mandir Indore. Indore Aarya Samaj Mandir, Indore Arya Samaj Mandir address, Hindu Matrimony in Indore, Arya Samaj Intercast Marriage, Intercast Matrimony in Indore, Arya Samaj Wedding in Indore, Hindu Marriage in Indore, Arya Samaj Temple in Indore, Marriage in Indore, Arya Samaj Marriage Rules in Indore, Hindu Matrimony in Indore, Arya Samaj Marriage Ruels in Hindi, Ved Puran Gyan, Arya Samaj Details in Hindi, Ved Gyan DVD, Vedic Magazine in Hindi, Aryasamaj Indore MP, address and no. of Aarya Samaj Mandir in Indore, Aarya Samaj Satsang, Arya Samaj, Arya Samaj Mandir Annapurna Indore, Documents required for Arya Samaj marriage in Indore, Legal Arya Samaj Mandir Marriage procedure in Indore,  Aryasamaj Helpline Indore Madhya Pradesh India, Official website of Arya Samaj Indore, Arya Samaj Bank Colony Indore Madhya Pradesh India, महर्षि दयानन्द सरस्वती, आर्य समाज मंदिर इंदौर मध्य प्रदेश भारत, वेद, वैदिक संस्कृति, धर्म, दर्शन, आर्य समाज मन्दिर इन्दौर, आर्य समाज विवाह इन्दौर

  • स्वामी श्रद्धानन्द गुरुकुल एवं स्वतंत्रता आंदोलन - २

    स्वामी श्रद्धानन्द गुरुकुल एवं स्वतंत्रता आंदोलन - २

    १९१३ में १८ मार्च से २३ मार्च तक गांधी जी प्रायः हरिद्वार मुख्यतः गुरुकुल कांगड़ी में रहे। १८ मार्च को गुरुकुल कांगड़ी में अछूतोद्धार सम्मेलन हो रहा था। गांधी जी भी इस सम्मेलन में शामिल हुए। अपने अस्पृश्यता निवारण की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि हिन्दुओं को प्रायश्चित की भावना से कार्य करना चाहिए। २० मार्च को गुरुकुल का पुरस्कार वितरण समारोह था। गांधी जी इस समारोह में शामिल हुए। आपने कहा पाठशाला का ग्रामीण जीवन, ग्रामीण शिल्प, खुली हवा, आजादी तथा अपने लोगों की सेवा के प्रति आकर्षण उत्पन्न करना चाहिए। इसी दिन गुरुकुल कांगड़ी के वार्षिक उत्सव में उन्होने एक मार्मिक भाषण दिया। उन्होंने उचित धार्मिक भावना हमारी सबसे बड़ी तात्कालिक आवयश्यकता है। हमारी धार्मिक भावना सुप्त है और हम लोग इस कारण हमेशा भयभीत बने रहते हैं।

    २३ मार्च को उनकी तबियत ठीक न होने पर भी आर्यसमाज भवन हरिद्वार में उन्होंने दयानन्द स्कूल के विद्यार्थियों के सामने एक छोटा सा भाषण देते हुए कहा कि अपनी आत्मा के प्रति सच्चा बनाना चाहिए, तभी तो वे देश के प्रति सच्चे बन सकते हैं। गुरुकुल कांगड़ी के महात्मा मुंशीराम के साथ मार्च १९१६ में महात्मा गांधी जी की मुलाकात शायद अंतिम मुलाकात थी, क्योंकि अगले वर्ष १९१७ में ही महात्मा मुंशीराम जी ने सन्यांस आश्रम में प्रवेश किया और वे स्वामी श्रद्धानन्द बन गए। संन्यासी बन जाने पर स्वामी श्रद्धानन्द जी केवल गुरुकुल कांगड़ी में न रहकर सकल मानव जाति के बन गए। अपने जान सेवा विशेषकर राष्ट्रीय सेवा में बढ़-चढ़ कर भाग लिया। महात्मा गांधी जी के आग्रह पर आपने कांग्रेस को सहयोग देना भी स्वीकार लिया। १९१८ में गढ़वाल (वर्तमान उत्तरांचल) में अकाल पद गया। उन दिनों पहला विश्वयुद्ध चल रहा था। अतः भारत की अंग्रेज सरकार का तो अपना राज सिंहासन ही डांवाडोल था।
    गढ़वाल की अकाल पीड़ित जनता की और ध्यान देने के लिए न उनके पास समय था और न ही सरकार इसकी आवयश्कता ही समझती थी। सरकार का तो यत्न था कि भारत की जनता को यत्न गढ़वाल अकाल की खबर तक न हो, परन्तु स्वामी श्रद्धानन्दजी जी को इस अकाल का पता चला तो उन्होंने अपने अखबार ''सत्यधर्म प्रचारक'' इस अकाल का पूरा विवरण लिखकर जनता से सहायता की अपील की। स्वामी जी की अपील पढ़कर लोगों पर ऐसा प्रभाव पड़ा कि धन पानी की तरह बरसने लगा। स्वामी जी अपने साथियों को लेकर गढ़वाल पहुंच गए और सरकारी विरोध बाधाओं की परवाह न करते हुए दुःख और विवश जनता की सेवा में जुट गए।

    Motivational speech on Vedas by Dr. Sanjay Dev
    Ved Katha Pravachan -20 | Introduction to the Vedas | धर्म की कसौटी - सबका कल्याण

    १९१९ का वर्ष भारत के इतिहास में बहुत ही महत्वपूर्ण वर्ष था। विश्वयुद्ध में बुरी तरह फंसी ब्रतानवी सरकार ने भारत से धन और जन की सहायता प्राप्त करते हुए भारत की जनता को आश्वासन दिया था कि युद्ध जीत लेने के पश्चात अंग्रेजी सरकार भारत को आजाद कर देगी। पर युद्ध समाप्त होते ही विदेशी सरकार ने भारत भर में रोलट एक्ट लागू कर दिया। इस विश्वासघात के कारण जनता जनार्दन में असंतोष व द्वेष फ़ैल गया। महात्मा गांधी ने तंग आकर रौलेट एक्ट के विरुद्ध अहिंसात्मक सत्याग्रह की घोषणा कर दी। तब मातृभूमि की पुकार सुनकर राष्ट्रहित के लिए अपनी आहुति देने के लिए स्वामी श्रद्धानन्द जी को चुना गया। दिल्ली में सत्याग्रह कमेटी का गठन किया गया, जिसका प्रधान स्वामी श्रद्धानन्द जी को चुना गया। कमेटी ने ३० मार्च की सायं को स्वामी जी की अध्यक्षता में एक बैठक हुई। अलगे दिन ३० मार्च को दिल्ली भर में हड़ताल हुई। ३० मार्च १९१९ जब दिल्ली की जनता का नेतृत्व करते हुए वे चांदनी चौक के घंटाघर के निकट पहुंचे तो गोरखा सिपाहियों ने अपने बंदूकों की संगीने स्वामी जी की ओर तानते हुए कहा - ''हट जाओ नहीं तो छेद देंगे।'' यह सुनकर स्वामी जी एक कदम और आगे बढे गए। अब संगीन की नोक स्वामी जी की छाती को छू रही थी। स्वामी जी ने बड़े ऊंचे स्वर में कहा - ''चलाओ गोली'' और वही खड़े रहे। वौ सैनिक स्वामी जी पर गोली चलाने की साहस नहीं जुटा सके। ४ अप्रैल, १९१९ को जामा मस्जिद दिल्ली में उसी सप्ताह अंगेजी सिपाहियों की गोलियों से शहीद होने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए एक शोक सभा का आयोजन किया गया। शहीद होने वाले ५ युवकों में तीन हिन्दुओं और दो मुसलमान युवक थे।
    aryasamaj indore

    अन्य लोगों के साथ स्वमी श्रद्धानन्द जी को विशेष रूप से श्रद्धांजलि देने के लिए बुलाया गया। मस्जिद के मिम्बर पर खड़े होकर स्वामी श्रद्धानन्द जी ने अपना भाषण वेदमंत्र के उच्चारण से आरम्भ किया। स्वामी जी के विचार सुनकर उपस्थित जन समूह देश भक्ति के नशे में झूम उठा। जामा मस्जिद की मिम्बर से भाषण देने वाले पहले तथा अंतिम गैर मुस्लिम व्यक्ति केवल मात्र स्वामी श्रद्धानन्द जी ही हुए हैं। उसी वर्ष अमृतसर में जलियांवाले बाग़ का खुनी काण्ड घटित हो गया। कांग्रेस का सालाना अधिवेशन अमृतसर में किया जाना असम्भव लगने लगा था, तब स्वामी जी ने इसका सारा दायित्व समिति अध्यक्ष बना दिया गया। अमृतसर में कांग्रेस का १९१९ में सालाना अधिवेशन सफलता पूर्वक कराना और स्वागत अध्यक्ष के पद से प्रथम बार हिन्दी भाषा में स्वागत भाषण करना स्वामी श्रद्धानन्द जैसे निर्भिक पुरुष के लिए ही सम्भव था।
    सितम्बर १९२२ में सिखों ने अंग्रेजी सरकार की दमन नीति के विरुद्ध ''गुरु के ब्याज'' का मोर्चा आरम्भ कर दिया। स्वामी श्रद्धानन्द जी अकालियों को अपना सहयोग और आशीर्वाद देने के लिए दिली से चलकर अमृतसर पहुंच गए। वहां उन्होंने अकाल तख्त के निकट हुई सभा में जो भाषण दिया। उससे चिढ़कर उस समय की पंजाब सरकार ने आपको जेल में बन्द कर दिया।  एक साल चार महीने की जेल यात्रा पूरी कर दिसम्बर १९२३ में स्वामी जी को रिहा किया गया। - तरसेम कुमार आर्य

    Contact for more info. -

    Arya Samaj Mandir Annapurna Indore
    Akhil Bharat Arya Samaj Trust
    Bank Colony, Near Bank of India
    Opp. Dussehra Maidan,
    Annapurna Road, Indore (MP)
    Tel.: 0731-2489383, 9302101186
    www.aryasamajonline.co.in 

    -----------------------------------------------

    आर्य समाज मन्दिर अन्नपूर्णा इन्दौर
    अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट
    बैंक कॉलोनी, दशहरा मैदान के सामने
    बैंक ऑफ़ इण्डिया के पास, नरेन्द्र तिवारी मार्ग
    अन्नपूर्णा, इन्दौर (मध्य प्रदेश) 452009
    दूरभाष : 0731-2489383, 9302101186
    www.aryasamajmarriageindore.com 

     

    The year 1919 was a very important year in the history of India. The British government, which was badly trapped in the World War, while receiving the help of money and people from India, assured the people of India that the British government would liberate India after winning the war. But as soon as the war ended, the foreign government implemented the Rowlatt Act across India. This betrayal led to dissatisfaction and malice in Janata Janardhana. Mahatma Gandhi got fed up and declared non-violent satyagraha against the Rowlatt Act. 

    Arya Samaj Mandir Annapurna Indore, Arya Samaj Mandir Bank Colony Indore, Arya Samaj Pandit Indore, Arya Samaj Indore for Gharghoda - Ahmedabad - Murud - Anoop Nagar - Vaibhav Nagar Indore.

    Arya Samaj Mandir Indore Madhya Pradesh, Arya Samaj Mandir Marriage Annapurna Indore, Query for marriage in Arya Samaj Mandir Indore, Plan for marriage in Arya Samaj Mandir Indore, Arya Samaj Sanskar Kendra Indore, pre-marriage consultancy, Legal way of Arya Samaj Marriage in Indore, Legal Marriage services in Arya Samaj Mandir Indore, traditional Vedic rituals in Arya Samaj Mandir Indore, All India Arya Samaj Mandir Wedding, Marriage in Arya Samaj Mandir, Arya Samaj Pandits in Indore, Traditional Activities in Arya Samaj Mandir Indore, Arya Samaj Traditions, Arya Samaj Marriage act 1937. Arya Samaj Annapurna Indore, All India Arya Samaj Indore, All India Arya Samaj Mandir Annapurna Indore, All India Arya Samaj Mandir Marriage Indore, All India Arya Samaj Mandir Wedding Service Indore, Official Website of Akhil Bharat Arya Samaj Trust Indore Madhya Pradesh, आर्य समाज इंदौर, Swami Shradhhanand Gurukul avam Swatantrata Andolan - 2, स्वामी श्रद्धानन्द गुरुकुल एवं स्वतंत्रता आंदोलन - 2, Arya Samaj and Vedas, Vedas, Maharshi Dayanand Saraswati, Arya Samaj in India, Arya Samaj and Hindi, Vaastu Correction Without Demolition, Arya Samaj Mandir Marriage Indore Madhya Pradesh, Arya Samaj helpline Indore Madhya Pradesh Bharat, Arya Samaj Mandir in Madhya Pradesh, Arya Samaj Online, Arya Samaj Marriage Guidelines, Procedure Of Arya Samaj Marriage, Arya Samaj Marriage helpline Annapurna Indore, Hindi Vishwa, Intercast Marriage in Arya Samaj Mandir Indore. Indore Aarya Samaj Mandir, Indore Arya Samaj Mandir address, Hindu Matrimony in Indore, Arya Samaj Intercast Marriage, Intercast Matrimony in Indore, Arya Samaj Wedding in Indore, Hindu Marriage in Indore, Arya Samaj Temple in Indore, Marriage in Indore, Arya Samaj Marriage Rules in Indore, Hindu Matrimony in Indore, Arya Samaj Marriage Ruels in Hindi, Ved Puran Gyan, Arya Samaj Details in Hindi, Ved Gyan DVD, Vedic Magazine in Hindi, Aryasamaj Indore MP, address and no. of Aarya Samaj Mandir in Indore, Aarya Samaj Satsang, Arya Samaj, Arya Samaj Mandir Annapurna Indore, Documents required for Arya Samaj marriage in Indore, Legal Arya Samaj Mandir Marriage procedure in Indore,  Aryasamaj Helpline Indore Madhya Pradesh India, Official website of Arya Samaj Indore, Arya Samaj Bank Colony Indore Madhya Pradesh India, महर्षि दयानन्द सरस्वती, आर्य समाज मंदिर इंदौर मध्य प्रदेश भारत, वेद, वैदिक संस्कृति, धर्म, दर्शन, आर्य समाज मन्दिर इन्दौर, आर्य समाज विवाह इन्दौर

  • सम्बन्ध एक मिथ्या

    सम्बन्ध एक मिथ्या - केवल जन्म व मृत्यु के मध्य में ही सम्बन्ध प्रतीत हो रहा है। इसलिए यह सम्बन्ध भी मिथ्या है। जो सामान आज नहीं तो दस दिन बाद अवश्य अपमानपूर्वक छोड़ना पड़ेगा। उसे दस दिन पहले सम्मानपूर्वक क्यों न छोड़ दें? जिस परिवार को दस दिन बाद रोते हुए छोड़ना है उस परिवार को दस दिन पहले हंसते हुए क्यों न छोड़ दें? तो क्या...

    Read More ...

pandit requirement
Copyright @ 2021. All Rights Reserved. allindiaaryasamaj.com